— फिर हो गयी हत्या —
मरने वाला मर गया , बाद में दुनिआ के पास बस बातें ही रह जाती हैं, पर हाँ जब खुद की बेटी पर गुजरेगी तब समझ में आएगा, तब ऐसे ऐसे कमेंट्स करने वालों की जुबानो पर ताला लग जाएगा, दहेज़ की आग न कभी बुझी है, न कभी बुझेगी, एक दो उदाहरण को छोड़कर , सब दहेज़ के लालची हैं, आजकल तो और भी ज्यादा, लड़का इतना कमाता है, विदेश में रहता है, हम को दहेज़ में यह चाहिये, इतना पैसा चाहिए, आदि आदि, हर मरने वाली लड़की के उप्पर क्या क्या गुजरती है, उस के माँ बाप भी नहीं जानते, पर वो अकेली तब तक जूझती है, जब तक सेहन कर सकती है, किसी को भी 2 – 4 लोग पकड़ के मार काट कर देंगे तो अकेली क्या कर सकेगी,
इस वीडियो को देखने के बाद ऐसा लगा कि जैसे इन्होने लड़की की नहीं, किसी जानवर की काट कर बोटी बोटी नोचकर हत्या की है, कोई अपने स्टेटस पर , कोई अपनी मूछों पर, कोइ अपने सामाजिक रूतबे पर इतना एहंकारी होकर लड़के ब्याहता है, कि पूछो मत, उस के बाद यही होता है, उन बेटिओं के साथ जो सामने हुआ दिख रहा है, यह दहेज़ की आग कभी ठंडी नहीं होने वाली, लड़की के पैदा होने पर से लेकर उस के विवाह पश्चात तक हर माँ बाप डरेगा, कि शादी करू या न करूँ ? बहुत बुरा कर रहे हैं, ऐसे लोग, , क्यूंकि कानून का भारत में किसी को कोइ डर नहीं है, यहाँ अंधा कानून है, अपराधी बच जाते हैं, और बेगुनाह फांसी पर लटका दिए जाते हैं, कुछ नहीं होने वाला बस बेटिओं को ऐसी शिक्षा देकर अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित करो, ताकि वो हर उस दरिंदे का कठोरता के साथ सामना कर सके !!
इन हो रही हत्यायों के लिए हम सब भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जितने मारने वाला , क्यूँ हम किसी अमीरजादे के सामने इतने झुक जाते है, क्यूँ हम यह सोचते है, कि हमारे दहेज़ देने से ही हमारी बेटी सुखी रहेगी, उस के सास ,ससुर, ननद ,,पति सब हाथों पर उठा लेंगे !
यह गलती है हर उस माँ बाप की जो यह सोचकर रिश्ते कर देते हैं, आये दिन किसी न किसी लड़की के साथ यह दहेज़ का दानव उस पर हावी होकर उस को क़त्ल करवा रहा है, कुछ दिन अच्छे से गुजरते है, उस के तुरंत बाद हत्या हो जाती है, लड़का बेरोजगार , जमीन ज्यादाद देखी , या देखा की लड़का स्मार्ट है, या देखा लड़के का पैकेज बहुत बढ़िया है, बस फिर थमा दिआ अपनी बेटी का हाथ, आज बहुत सोच समझ कर आगे बात बढ़ाने का वक्त है, जो दिखता है वो होता नहीं है, जो होता है, उस के बारे में लोग सोचते तक नहीं है !
एक तरफ कहते हैं बेटी को पढ़ाओ, बेटी को बचाओ, दूसरी तरफ बेटिओं की बलि चढ़ाई जा रही है, क्यूँ ? क्या उनको जीने का हक़ नहीं है, यह दहेज़ की आग एक दम से नहीं लगती है, कहीं न कहीं से एक तिल्ली सुलगाई जाती है, या किसी रिश्तेदार के द्वारा, या किसी पडोसी के द्वारा, उस की भूमिका पहले से ही तैयार कर ली जाती है, कि जहाँ जरा सी चूक हुई लड़की से या उस के घर वालों से , तभी उस को मौत के घाट उतार दिया जाएगा, एक दो दिन में यह सब नहीं होता है, जो दहेज़ की आग में बेटिओं को जला दिया जाता है, या काट दिया जाता है !
यह इंसान किस हद तक गिरेगा, समझ नहीं आ रहा, अरे मर्द की जात में पैदा हुए हो तो मर्दानगी दिखाओ न, क्यूँ किसी अबला के उप्पर हाथ उठा कर, उस को आग लगाकर, या उस को कहीं उप्पर से धक्का देकर, चाकू आदि से काट कर ख़त्म कर रहे हो, कब तक भिखारी की भांति हाथ फैला फैलाकर लड़की के माँ बाप को परेशान करोगे, लानत है तुम्हारे मर्द रूप में पैदा होने पर, भगवान् को भी लज्जा आ रही होगी, तुम्हे मर्द के रूप में जन्म देकर, इस से अच्छा तो तुम्हे हिजड़े (किन्नर) के रूप में जन्म दे देता, ताकि किसी की बेटी का नरसंहार तो न होता, कम से कम वो अपना खुशहाल जीवन जी तो लेती, धिक्कार है तुम पर बहुत बड़ा धिक्कार है तुम्हारे मर्द होने पर, धिक्कार है तुम्हारे माँ बाप पर जिन्होंने यह सब होते हुए देखा, उन्होंने तुम्हे ऐसे घिनोने संस्कार से पाला, ऐसी ही तुम्हारी परवरिश की, तुम्हे और तुम्हारे सारे परिवार को और जिस ने भी इस आग को लगाने में अपनी भूमिका बनाई थी तुम सब को कभी नरक में भी जगह नहीं मिलेगी, दर दर की ठोकरे खायेगी तुम्हारी सब की आत्मा !
बहुत दुख हुआ है जो मैने यह सब लिखा है, ऐसा लगा जैसे मेरी ही बेटी का क़त्ल कर दिया गया है ! मैं भगवान् से यही प्रार्थना करता हूँ , कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें , और जिन्होंने यह नरसंहार किया है, उस को कड़ी से कड़ी सजा देना, और उनके मरने के बाद उनको नरक से नर्क में फिर से जन्म देना, ताकि उनके साथ ठीक वैसा होगा, जैसा इन लोगों ने उस बेटी के साथ किया है !! ॐ शान्ति !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ