फिर से सडकों पर रौनक लौट आएँगे
रह गई है ज़िन्दगी चार दिवारी में सिमट कर ,
हौसला खुले आसमान में उड़ने का है ,
रखा करते थे हम जिन्हें बड़े शौख से पिंजरों में बंद कर ,
आज उनकी बैचैनी का पता चलता है
बेजुबां अपनी दर्द बयां नहीं कर पाते हैं
अब हम अपनी हरकतों पर शर्माते हैं
बैचैन, तनहा, परेशान घर से बाहर कब जायेंगे
सब मिल कर अलग से मदद करे एक दुसरे का तो, ये जंग हम सब जीत जायेंगे
डॉक्टर, नर्स, पुलिस, सफाईकर्मी का योगदान सरहायेंगे
रखो दुरी, मास्क मुह पे, साफ सफाई, यही आदत अपनाएंगे
सुनसान गाँव ,शांत अँधेरी गलियां, फिर से जगमगायेंगे
हंसी ख़ुशी होंगी सबके चेहरे पे, फिर से सडको पर रौनक लौट आएँगे
नई सुबह नई जिंदगी की बात करेंगे
फिर से हम एक दुसरे से मुलाकात करेंगे
शायद हम सुधर गए हैं, नए नियम का पालन करेंगे
हो सब अच्छा, अच्छा हो सबका, खुशियाँ लौट आये हर घर का
फिर से और जोर से लहरायेंगे तिरंगा भारत का, लहरायेंगे तिरंगा भारत का!
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