फिर से दर्शनें को।
बौख रहा मेरा मन
तड़प रहा मेरा मन
नवजीवन पाने को
फिर से दर्शानें को
जीवन-चक्र इसी पर चलता हैं।
मौत भी इसी पर टिका है।
धूरी जीवन-मौत की धरी हैं।
अब तो वक्र (टेढ़ा) समय में भी सीधी (सरलता जी रहीहूं) खड़ी हूं।
बौख रहा मेरा मन
तड़प रहा मेरा मन
नवजीवन पाने को
फिर से दर्शानें को
जीवन-चक्र इसी पर चलता हैं।
मौत भी इसी पर टिका है।
धूरी जीवन-मौत की धरी हैं।
अब तो वक्र (टेढ़ा) समय में भी सीधी (सरलता जी रहीहूं) खड़ी हूं।