फिर से तेरी याद
ये तो बस शुरुआत थी
बेमौसम बरसात की
पता नहीं क्या जुल्म करेगी
फिर से तेरी याद भी
थोड़ा सा तड़पायेगी
और पागल सा कर जायेगी
फिर से इक बार मेरी आँखें
सागर सा भर जायेंगी
रिमझिम गिरती बारिश के
वो रोती होगी साथ भी
पता नहीं क्या जुल्म करेगी
फिर से तेरी याद भी
यादों में आहट तेरी
इक ख़बर यहाँ तक लाएगी
वो हाल सुनाएगी तेरा,
मेरी आँखें फिर बह जायेंगी
हर गिरता आँसू यही कहेगा
तू शाह की मुमताज़ थी
पता नहीं क्या जुल्म करेगी
फिर से तेरी याद भी
… भंडारी लोकेश ✍️