फिर से इक नव वर्ष मिला है
फिर से इक नव वर्ष मिला है
॰॰॰
फिर से इक नव वर्ष मिला है
मानव मन को हर्ष मिला है
और इसे आगे ले जायेँ
अबतक जो उत्कर्ष मिला है
संशय के बादल हैँ माना
सफ़र बहुत लगता अनजाना
फिर भी हर्ष मना लो भाई
कल क्या होगा किसने जाना
साल नया यह गीत नया है
सबकुछ मेरे मीत नया है
कष्ट भरे दिन याद करें क्यों
खुशियों का संगीत नया है
बहुत सहे इस दिल पर छूरे
हैं अपने कुछ स्वप्न अधूरे
दिल की आशा बोल रही है
हो सकते हैं शायद पूरे
– आकाश महेशपुरी