फिर वही चार लोगो को कहते सुना
युही चलते चलते आज मैंने फिर
उन्ही चार लोगों को फिर बाते करते हुए सुना,
थी बकवास ही पर कुछ कुछ मामला संगीन सा लगा।
अपनी अपनी बेटी के रिश्ते की चर्चा सी करते हुए सुना।।
शायद किसी बेटी की शादी हुई थी पड़ोस में
बस उस पर गंभीर होते हुए उन्हें सुना।
दहेज में क्या मिला नही मिला ऐसा कुछ कहते सुना।
बेटी को घर बहुत अच्छा मिला कुछ कुछ ऐसा कहते सुना।।
पास गया तो समझ आया कि
अच्छा घर मिला या नही मिला मिला
इस पर इन चार लोगों का जमघट आज नही लगा।
बिना दहेज दिए इतना अच्छा घर मिला बस चिंता का सबब बना।।
उनकी चार बातों में हम भी अपनी भी एक जोड़ आये
बातों ही बातों में हम भी एक बात बोल आये।
बिना दहेज क्या सच मे कभी किसी को अच्छा घर मिला।
इत्तेफाक तो ये है जो घर अच्छा था सिर्फ वही बिना दहेज के मिला।