फिर मुझसे अपनी होने की आशा करते हो क्यों ?-आर के रस्तोगी
सुबह शाम झिडकिया गालिया देते हो मुझे
घर से निकालने की धमकिया देते हो मुझे
तुम्हारा निरंकुश काम-वासना डराती है मुझे
तुम्हारा ये बर्ताव मरने को उकसाती है मुझे
तुम्हे मिले है सब हक,पर मिला नही कोई हक मुझे
फिर मुझसे अपनी होने की आशा करते हो क्यों ?
कुछ खाया,नहीं खाया, कभी पूछते हो मुझसे
तुम्हारी तबियत कैसी है कभी पूछते हो मुझसे
घुमाने फिराने की बात,कभी पूछते हो मुझसे
सारी रात क्यों नहीं सोई,कभी पूछते हो मुझसे
हर बाते मै पुछू तुमसे, पर तुम न पूछो मुझसे
फिर मुझसे अपनी होने की आशा करते हो क्यों ?
अर्पण समर्पण प्यार दुलार चाहते हो मुझसे
ईमानदारी बफादारी आज्ञाकारी चाहते हो मुझसे
कोई बात न छिपाऊ तुमसे ये चाहते हो मुझसे
कोई राज न छिपाऊ तुमसे ये चाहते हो मुझसे
तुम्हे ही अधिकार जानने का सब राज मुझेसे
मेरा नही है कोई अधिकार जानने का राज तुमसे
फिर मुझसे अपनी होने की आशा करते हो क्यों ?
आर के रस्तोगी
मो 9971006425