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15 Sep 2021 · 1 min read

— फिर भी नाज —

हड्डी का पुतला
खुद पर करता बड़ा नाज है
न जाने किस भ्रम में डूबा
बेसुर बजता यह साज !!

लिए फिरता है राख संग
न जाने कब माटी बन जाए
फिर भी घमंड का
सर पर रखता ताज !!

कुछ कहते ही आग बबूला
बन जाए यह इंसान
किस काम का तेरा यह तन
जो काम न आया आज !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 279 Views
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