फिर तुम आना
हुआ कलंकित
हर पल शंकित
दीन -हीन
सन् बीस ।
विगत बरस की
टीस भुलाना
फिर तुम आना
नेह लिए इक्कीस ।
पुलक पुलक देह
कर आना
मुदित पयोद मेह
झर लाना ।
सकल क्लेश
सकल द्वेष
पृष्ठ कहीं
चुपके धर आना ।
चारु मनोहर
धवल धरोहर
मृदुल मोद
लिए तुम आना ।
कांति सकल
शांति सकल
संग ले आना
नवल वर्ष इक्कीस ।
विषाद विछोह
विवाद सब तजना
सबके मन सजना
हे नवल वर्ष इक्कीस।
विहद चाव से
सुखद भाव से
तुम आना फिर
नेह लिए इक्कीस।
अशोक सोनी
भिलाई ।