” फिर चुनाव आये हैं ” !!
फिर चुनाव आये हैं !!
महासमर का बिगुल बजा है ,
नायक रथ चढ़ बैठे !
मान मुन्नवल शुरू हो गई ,
रहे न अपने ऐंठे !
घर घर जाकर मनुहारें हैं ,
दिन ऐसे आये हैं !!
भाल सजेगें , थाल सजेगें ,
नेता रोज़ तुलेगें !
पुष्प चढेगें , भेंट ,सुरा है ,
ढोल भी खूब बजेगें !
भाषणबाजी , नारे , वादे ,
गगन चढ़े , छाये हैं !!
एक दूजे पर तोहमत होगी ,
फिकरे खूब कसेगें !
चरित्र हनन तो आम बात है ,
पुरखे नहीं बचेगें !
बढ़े लुभावन वादे करते ,
सितम खूब ढाये हैं !!
महापर्व है प्रजातन्त्र का ,
है सबकी हिस्सेदारी !
मत देना अधिकार हमारा ,
है भारी जिम्मेदारी !
जिसने जीता मन जनता का ,
वोट वही पाये हैं !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )