बता देना।
फिर घटाएं घट गईं तो बता देना।
सर्द रातें कट गईं तो बता देना ।।
आज तो मासूमियत है चेहरे पर,
मुश्किलें यदि छंट गई तो बता देना।।
दूरियां थी आज तक जिन दर्पणों से,
झाइयां अब पट गई तो बता देना।।
दीखते बेदाग, अगणित दाग खाकर,
कालिमा यदि हट गई तो बता देना।।
किये हैं उपकार, चेहरे देखकर के,
रेवड़ी यदि बंट गईं तो बता देना।।
✍️- नवीन जोशी ‘नवल’