फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा………….
फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा , गलियों में तेरी मैं कभी आ कर देखूंगा।
अभी बोझ जिम्मेदारियों का बहुत है मुझपर , फिर कभी तुमसे दिल लगाकर देखूंगा।
एक अरसा हो गया तुम रूठे हो मुझसे , आज फिर मैं तुमको मना कर देखूंगा।
तेरी हर चीज़ मुझे तेरी याद दिलाती है , तोहफ़े तेरे सारे तुझे मैं लौटाकर देखूंगा।
इंतज़ार तो तेरा मुझे बरसों से है , मगर पलके मैं आज फिर बिछाकर देखूंगा।
आंखें भारी हो गई हैं फिर मेरी आज , फिर मैं आंसू आज बहाकर देखूंगा।
आज फिर इस दिल को समझा कर देखूंगा, तेरी यादों को फिर भुला कर देखूंगा।
फिर कभी तुम्हें मैं चाहकर देखूंगा , गलियों में तेरी मैं कभी आ कर देखूंगा।
– नसीब सभ्रवाल “अक्की” ,
गांव -बांध,
तहसील-इसराना,
पानीपत,हरियाणा-132107.