फिर एक नया वर्ष आया है
शीर्षक-फिर एक नया वर्ष आया है
कितने ही संकल्प बचे हैं
कई कसम पूरे करने हैं
राह बड़ी अनजानी लगती
लगता है सब माया है
फिर एक नया वर्ष आया है।
संघर्षों की लगी कतारें
और चुनौती डंटी हुई है
हम सबको लड़ना है हर एक से
गीत यही सबने गाया है
फिर एक नया वर्ष आया है।
झूम-झूमकर प्रतिपल जी लें
सब मित्रों के गम को पी लें
नव-संकल्पों की लगी लड़ी है
सब हृदय आज हर्षाया है।
देखो झूम झूमकर गाकर
फिर एक नया वर्ष आया है।
–अनिल कुमार मिश्र