फिर आया चुनावी त्योहार
आया फिर चुनावी त्योहार,
जनता को दिखाते लाली पाप,
फिर वही पुरानी राग,
बदल देगे सब हालात,
बनाते पल पल नयी बात,
दौडते है अब दिन रात,
आया फिर चुनावी त्योहार!
देते नही कोई सौगात,
केवल करते झूठे आलाप,
बदल देगे अबकी हालात,
यही नारा है झूठी बात,
करते है पीछे से घात,
दिखा दो इनको अपनी औकात!
आया फिर चुनावी त्योहार
देने को विरोधी को मात,
गुणा गणित है जात पात,
किसानो के बुरे है हालात,
सोते भूखे पूरी रात,
कौन सोचे इनकी हालात!
आया फिर चुनावी त्योहार
देखिये इनके ठाट बाट,
कहते गरीबो के हम साथ
झूठ की देते पूरी दात
नये जोडते है ये नात
जब तक है चुनाव की बात
आया फिर चुनावी त्योहार
बिछ गयी फिर से नयी बिसात
देने को विरोधी को मात
करते है नये नये घात
अभी तो हुई नयी शुरूआत
बडी बिगडेगी बोली बात
आया फिर चुनावी त्योहार
विन्ध्यप्रकाश मिश्र
विप्र