फिर अंग्रेजी बोल रहा है।
त्याग मान , अभिमान सदियों से इसी मान पर , लड़ता रहा है। और जब आया युग अंधा , रोशनी दिखा रहा है। वीरों की इस धरा पर छक्कों का राज ला,रहा है।। जीवन आश खोकर , फिर जीवन जीने की कला सिखा रहा है।ज्ञान से बहुत दूर रह कर भी विज्ञान का माहौल बना रहा है।जिसे पढ़ना चाहिए था वह पुस्तक छुपा रहा है।। अपनों को भूलकर क्यों पशिचमी सभ्यता अपना रहा है।।मातृ भाषा के मीठे स्वरों में क्यों कड़वाहट घोल रहा है। सुंदर सी भाषा है तेरी फिर क्यों अंग्रेजी बोल रहा है।।