फिरौती
शांतिलाल जी उस दिन सुबह स्नान ध्यान एवं नाश्ता कर दुकान के लिए रवाना हुए , उन्होंने अपनी पत्नी मालती को आवाज देकर कहा कि मैं आज दोपहर को खाना खाने आ नहीं सकूंगा तुम नौकर गोपाल के हाथ टिफिन लगाकर भेज देना।
शांतिलाल जी कपड़ों के थोक व्यापारी थे शहर के बड़ा बाजार में उनकी कपड़ों की थोक दुकान थी।
शांतिलाल जी एक मिलनसार सहृदय व्यापारी थे।
उनका व्यापार जगत एक विशेष सम्मानीय स्थान था। आसपास के कस्बों और गांवों के फुटकर व्यापारी भी उनके व्यवहार से संतुष्ट थे, और उनका किसी भी व्यापारी से विवाद अथवा वैमनस्य नहीं था। अपने कर्मठ क्रियाशीलता एवं व्यवहार से शांतिलाल जी ने अपने व्यापार को लघुतर इकाई से
शिखर पर पहुंचा दिया था।
जैसा कि अधिकांशतः व्यापार जगत होता है , कुछ ऐसे तत्वों को जो स्वयं के सामर्थ्य पर व्यापार में उन्नति न कर पाए उन्हें भीतर ही भीतर शांतिलाल जी से जलन होने लगी थी , परंतु शांतिलाल जी के व्यापार में प्रभाव के चलते वे उनके विरुद्ध कुछ भी करने में असमर्थ थे।
आज शांतिलाल जी को बहुत काम था उनके माल से भरे ट्रक जो कोलकाता से आए थे उनकी अनलोडिंग गोदाम में करवा कर बिल के अनुसार के माल की चेकिंग करना एवं स्टॉक का भौतिक सत्यापन करना अनिवार्य था।
हमेशा की तरह शांतिलाल जी स्वयं उपस्थित रहकर माल की चेकिंग एवं स्टॉक का सत्यापन करते थे , जिससे भविष्य में किसी भी तरह की गलती एवं विवाद की संभावना न रहे।
दुकान पर शांतिलाल जी ने मुनीम को आदेश देकर गोदाम के लिए रवाना हुए गोदाम पहुंचकर उन्होंने उतारे गए एवं उतारे जा रहे माल का मुआयना किया एवं गोदाम मैनेजर के साथ बैठकर स्टॉक रजिस्टर चेक करने लगे । गोदाम में स्थित माल एवं उतारे गए माल का भौतिक सत्यापन करते हुए दोपहर के 1:30 बज चुके थे। तभी उनकी पत्नी का फोन आया कि गोपाल टिफिन लेकर दुकान पहुंच गया है आप जाकर खाना खा लीजिए।
शांतिलाल जी ने मैनेजर शंकर से कहा कि आप स्टॉक रजिस्टर पूरा कर शाम को दुकान पर ले आना मैं दुकान जा रहा हूं।
शांतिलाल जी ने दुकान में पहुंचकर टिफिन खाया और वे बाहर कस्बे से आए व्यापारी के साथ बात कर रहे थे , तब उनका फोन बज उठा फोन किसी अनजान नंबर से आया था। फोन उठाने पर उधर से फोन करने वाले ने पूछा क्या आप सेठ शांतिलाल है ? शांतिलाल जी के हां कहने पर उसने कहा कि हमने आपके बेटे मनोज का अपहरण कर लिया है उसकी फिरौती के लिए आप 24 घंटे के अंदर एक करोड़ रुपए की व्यवस्था कर लें। इस विषय में पुलिस को सूचित करने की गलती मत करना अन्यथा आपके बेटे को जान से मार दिया जाएगा।
शांतिलाल जी को कुछ समझ नहीआ रहा था वे क्या करें ? क्या उन्हें पैसै देकर मनोज को बदमाशों के चंगुल से मुक्त कराना पड़ेगा ? या उन्हे पुलिस को बतला बदमाशों को पकड़वा कर मनोज को उनकी पकड़ से छुड़ाना पड़ेगा ? परंतु इस विकल्प में बदमाशों को भनक लगने पर मनोज की जान को खतरा था।
तभी उनको उनके प्रिय मित्र मनोहर की याद आई जो हमेशा उनके सुख दुःख में उनके साथ खड़ा रहता था।शांतिलाल जी भी संकट पड़ने पर उसकी नेक सलाह लिया करते थे।
शांतिलाल जी ने तुरंत फोन पर मनोहर को वस्तुःस्थिती से अवगत कराया। मनोहर ने कहा अभी तुम जल्दबाजी में कोई निर्णय मत लो मै सोचकर तुम्हे बताता हूँ ,क्योंकि हर हाल में मनोज की सुरक्षा सर्वोपरि है।
मनोहर ने इस विषय में काफी मंथन करने के बाद यह निर्णय लिया कि वह एक योजनाबद्ध तरीके से मनोज को बदमाशों के चंगुल से छुड़ाएगा और बदमाशो को पकड़कर , उनसे वसूली फिरौती की रकम भी वापस ले पाएगा। परंतु इस पूरे अभियान को वह पूर्णतः गुप्त रखकर निष्पादित करेगा यहां तक कि शांतिलाल जी को भी इस विषय में कुछ भी ना बतलाएगा।
मनोहर ने अपने मित्र रिटायर्ड कर्नल सुरेंद्र सिंह चौहान जो उस समय एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाते से इस विषय में सलाह लेकर योजना बनाने का विचार किया।
मनोहर एवं कर्नल चौहान ने विचार विमर्श कर यह तय किया कि वे दो टीम का गठन करेंगे।
एक टीम शांतिलाल जी गतिविधियों पर नजर रखेगी उनके आने जाने , एवं उनसे संपर्क करने वाले फोन नंबरों की भी टैपिंग की जाएगी ।
दूसरी टीम बदमाशों की गतिविधि पर नजर रखेगी तथा शांतिलाल जी के पास आने वाली सूचनाओं के आधार पर रणनीति में हर कदम पर आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।
यह पूरा अभियान पुलिस से पूर्णतः गोपनीय रखकर निष्पादित किया जाएगा , क्योंकि पुलिस में मौजूद तत्वों की अपराधियों से सांठगांठ रहने की संभावना से अभियान की जानकारी अपराधियों को लग सकती है।
यह सब कुछ विचार विमर्श कर मनोहर ने शांतिलाल जी को फोन कर बताया कि वे बदमाशों की बात मानकर फिरौती की रकम देने के लिए तैयार हो जाए और उनसे रकम देने का स्थान एवं समय सूचित करने को कहें।
रकम की व्यवस्था की वे चिंता ना करें उसने अपने एक मित्र से बात कर उसकी व्यवस्था कर ली है।
मनोहर ने तुरंत अपने मित्र बैंक मैनेजर से बात कर लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी के तहत अपने मकान को गिरवी रखकर एक करोड़ तुरंत व्यवस्था करने का आग्रह किया जिसके लिए वे तैयार हो गए एवं उन्होंने दस्तावेज तुरंत तैयार कर एक करोड़ की व्यवस्था मनोहर के खाते में कर दी।
मनोहर एवं शांतिलाल जी बदमाशों के फोन का इंतजार करने लगे। शाम को 4:00 बजे शांतिलाल जी के पास फोन आया कि वे एक करोड़ नकदी ₹2000 के नोट की गड्डियों की शक्ल में एक नए सूटकेस में पैक करके दूसरे दिन प्रातः 5:00 बजे एयरपोर्ट के यात्री प्रतीक्षा लाउंज में आकर बैठें और अगली सूचना का इंतजार करें।
नोट की गड्डियों को सूटकेस में पैक करने के पश्चात सूटकेस की फोटो उनके द्वारा दिए गए व्हाट्सएप के नंबर पर भेज दें।
मनोहर ने तुरंत बैंक मैनेजर से बात कर एक करोड़ रुपया ₹2000 के नोट की गड्डियों के रूप में तैयार रखने का अनुरोध किया। चूँकि मनोहर में बैंक मैनेजर को इस विषय में अवगत करा दिया था अतः बैंक मैनेजर ने भी पूर्ण सहयोग कर ₹2000 नोट की व्यवस्था रकम तैयार रखी।
शांतिलाल जी और मनोहर ने बाजार से एक नया सूटकेस खरीदा और तुरंत बैंक पहुंचकर नकदी प्राप्त कर उसे सूटकेस में रखकर उसकी फोटो दिए गए व्हाट्सएप नंबर पर भेज दी।
सूटकेस लेकर मनोहर शांतिलाल जी के साथ अपने घर आ गया क्योंकि सवेरे उठकर उन्हें एयरपोर्ट रवाना होना था।
मनोहर ने शांतिलाल जी की निगाह बचाकर सूटकेस में कर्नल चौहान द्वारा दी गई ट्रैकिंग डिवाइस फिट कर दी।
मनोहर ने कर्नल चौहान को समस्त सूचनाऐं देकर अलर्ट कर दिया।
कर्नल चौहान की टीम शांतिलाल जी की गतिविधियों पर पूर्णतः नजर रख रही थी।
उनके पास आने वाले फोन की जानकारी टैप की जा रही थी।
सवेरे 4:00 बजे उठकर मनोहर और शांतिलाल जी रकम के सूटकेस के साथ मनोहर की कार में एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए ,
करीब 4:40 पर एयरपोर्ट पहुंचकर लाउंज में बैठकर सूचना का इंतजार करने लगे।
करीब 5:10 पर शांतिलाल जी के फोन की घंटी बजी और उधर से आवाज आई क्या रकम पूरी है ? पुलिस को सूचना देने की होशियारी तो नहीं की है ? ज्यादा होशियारी करोगे तो बहुत नुकसान में रहोगे। शांतिलाल जी ने विनम्रता से कहा आपके कहे अनुसार मैंने रकम की व्यवस्था कर दी है और पुलिस को कोई भी सूचना नहीं दी है , आप मुझ पर विश्वास रखें। मेरे साथ जो व्यक्ति हैं वे मेरे अभिन्न मित्र हैं कोई पुलिस वाले नहीं आप विश्वास रखें।
इस पर उस व्यक्ति ने कहा आप अकेले सूटकेस लेकर काफी स्टाल पर आकर काफी पीकर अगली सूचना का इंतजार करें।
शांतिलाल जी मनोहर को वहीं छोड़कर अकेले काफी स्टॉल पर सूटकेस लेकर पहुंचे और काफी लेकर पीने लगे। काफी स्टाल चार पांच लोग कॉफी पी रहे थे। कॉफी पीते पीते शांतिलाल जी का ध्यान सूटकेस से थोड़ा हट सा गया क्योंकि तनाव में रात भर जागने से वे थोड़े उनींदे से हो गए थे।
शांतिलाल जी ने देखा सूटकेस अपनी जगह से थोड़ा हटा हुआ था। शांतिलाल जी ने सूटकेस उठाया तो वह कुछ कम वजनी महसूस हुआ।
सूटकेस बदल चुका था और शांतिलाल जी को मालूम भी नहीं हुआ।
इधर कर्नल चौहान की टीम जो अपराधियों की गतिविधि पर नजर रख रही थी उसने देखा पांच व्यक्ति टैक्सी से एयरपोर्ट पर उतरे , वे सब उतरकर
कॉफी स्टाल पर पहुंचकर काफी पीने लगे। उनमें से एक व्यक्ति के पास हुबहू शांतिलाल जी के सूटकेस जैसा सूटकेस था।
टीम को पक्का विश्वास हो गया ये वही बदमाश हैं जो फिरौती की रकम वसूल करने आए हैं।
टीम के कुछ सदस्य कॉफी स्टाल के आसपास नजर रखने लगे तभी उन्होंने देखा शांतिलाल जी कॉफी स्टॉल में सूटकेस लेकर आ गए हैं और कॉफी पीने लगे हैं। तभी उन्होंने देखा कि बड़ी चतुराई से उस बदमाश ने अपना सूटकेस शांतिलाल जी के सूटकेस से बदलकर उसे अपने साथी को पास कर दिया था और उसने उसे अपने तीसरे साथी को पास कर कर दिया। वह साथी पहले से ही खड़ी इंतजार कर रही एक टैक्सी में बैठकर रवाना हो गया। इधर मनोहर को कर्नल चौहान द्वारा पल-पल की सूचना मिल रही थी मनोहर को यह पता लग गया था कि बदमाश सूटकेस लेकर रवाना हो गए हैं।
कर्नल साहब की टीम सूटकेस लेकर टैक्सी में रवाना बदमाश का पीछा कर रही थी , उन्होंने देखा की टैक्सी शहर छोड़कर पास के गांव की ओर रवाना हो चुकी है । वे बड़ी सावधानी से पीछा कर रहे थे और यह मालूम नहीं होने देना चाहते थे कि बदमाशों को यह पता लगे कि उनका पीछा किया जा रहा है , क्योंकि जरा सी भी गलती होने पर मनोज की सुरक्षा को खतरा हो सकता था।
इधर कर्नल चौहान ने ट्रैकिंग डिवाइस की मदद से उस गांव की लोकेशन एवं रकम लेकर जाने वाले जाने वाले बदमाश के लोकेशन का पता लगा लिया था। जिससे उसे पकड़कर रकम जब्त की जा सके।
इधर मनोहर शांतिलाल जी एवं कर्नल चौहान बदमाशों द्वारा मनोज की रिहाई की सूचना का इंतजार करने लगे।
करीब 10:00 बजे शांतिलाल जी के फोन की घंटी बजी और उधर से आवाज आई आपके बेटे को हमने सिटी पार्क के बाहर छोड़ दिया है , आप उसे ले जा सकते हैं।
कर्नल चौहान ने अपनी टीम को सूचित कर मनोज के सही सलामत लौटने की सूचना देने को कहा। तदनुसार उनके पास फोन आया मनोज मिल चुका है और उसे सुरक्षित उसके घर पहुंचा दिया गया है।
मनोज के सुरक्षित घर पहुंचने की सूचना मिलने पर एवं शांतिलाल जी द्वारा घर पर अपनी पत्नी एवं मनोज से बात करने के पश्चात कर्नल चौहान ने अपनी टीम जो उस बदमाश का पीछा करते हुए गांव पहुंच चुकी थी , उसे उसके लोकेशन पर धर दबोचने का आदेश दिया। जिसका पालन करते हुए टीम ने अकस्मात धावा बोलकर उस बदमाश को पकड़ कर सूटकेस की पूरी रकम बरामद कर ली।
बदमाश को पकड़ने के पश्चात कर्नल चौहान ने पुलिस कमिश्नर को सूचना दी और पुलिस फोर्स भेजकर कुछ पकड़े हुए बदमाश को गिरफ्तार कर उसके साथियों का पता लगाने की गुज़ारिश की।
कर्नल चौहान ने पुलिस कमिश्नर को बताया कि इस तरह की घटना पूर्व में भी घटित हो चुकी हैं। जिसमें कुछ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की अपराधियों से सांठगांठ की संभावना उन्हें प्रतीत होती थी।
अतः उन्होंने अपराधियों के विरूद्ध अभियान को पुलिस के गुप्त रखकर अंजाम दिया था। जिससे शांतिलाल जी के पुत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके एवं अपराधियों के इरादे धव्स्त किए जा सकें।
पुलिस ने शीघ्र ही उस पकड़े गए बदमाश से उगलवाकर अपहरण करने वाले समस्त बदमाशों को गिरफ्तार कर उन पर प्रकरण दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया।
शांतिलाल जी को बाद में पता चला कि यह सब उनके पूर्व के कर्मचारी सोहनलाल जिसे उन्होंने चोरी करने कारण निकाल दिया था ,उसने उनके कुछ विरोधी तत्वों के साथ मिलकर इस साजिश को रचा था।
पुलिस ने सोहनलाल एवं उसके सहयोगी तत्वों को अपहरण की साजिश रचने के जुर्म में गिरफ्तार कर केस दर्ज कर जेल भेज दिया
पुलिस कमिश्नर ने कर्नल चौहान की सूझ-बूझ से निष्पादित अपराधियों के विरुद्ध अभियान की भूरी- भूरी प्रशंसा की।
मनोहर ने बरामद एक करोड़ बैंक में जमा कर अपना ऋण चुकता कर बैक मेनेजर को उसका
विकट परिस्थिति में सहयोग का हार्दिक आभार प्रकट किया।
शांतिलाल जी का हृदय मनोहर एवं उसके मित्र कर्नल चौहान के प्रति उनके द्वारा सूझबूझ से निष्पादित अभियान के तहत सहयोग से कृतज्ञता से भर गया।
इस घटना से शांतिलाल जी और मनोहर की मित्रता और भी प्रगाढ़ हो गई।
मनोहर और शांतिलाल जी की मित्रता, मित्र के प्रति पूर्णतः समर्पित भाव का एक अनूठा उदाहरण है।