फितरत
यूं रंग बदलती फितरत देख इंसा की,
गिरगिट भी एक बारगी शर्मा जाए।
रहबर समझ अपना जिसका थामा हाथ,
वही निकला आस्तीन का सांप।
अपनी खुद की फितरत जानवरों में देख,
बदनाम किया इंसान ने जानवरों को भी।
वह तो भला हो कुत्ते का,
जिसने वफादारी और मालिक परस्ती को
अपनी फितरत से अलग नहीं किया।
वरना आदमी की तो फितरत ऐसी,
कि कुत्ते को भी बना दे नमक हराम खुद की तरह।