फितरत
निगाहे जाम को मयखाना बना देते हैं ।
एक नजर देखो जो दीवाना बना देते हैं।
आते जाते शहर में नजरे अगर मिल जाए।
तीर नजरों से कातिलाना बना देते हैं।
दिल की फरियाद को सुनते नहीं बैठसुकू।
मेरी हर बात को अफसाना बना देते हैं।
फेरते नजरें मुझसे जैसे कोई गैर है वो।
दुनिया की भीड़ में अंजाना बना देते हैं।
रखते हाथ नही दुखती रग पर मेरे कभी।
गैरों की खातिर दवा खाना बना देते हैं।
बड़े फुरसत से गैरों की महफ़िल में शामिल ।
मेरे ही खातिर वो बहाना बना देते हैं।
तल्खीया इतनी सरिता हैं जो तुमसे ज्यादा।
क्यों अलग भी मेरा ,ठिकाना बना देते हैं।