फितरत
जान कर भी अंजान थी मैं, तुझे अपना मानने में इतनी मशरूफ थी मैं।
तू मेरा कभी हो ही ना सका, मेरा होकर रहना तेरी फितरत ही नहीं थी,
और तूझसे जुदा होना मेरी फितरत में ना था ,
बस हम दोनों की फितरत ने हमें ना साथ रहने,
दिया ना जुदा होने दिया।
जान कर भी अंजान थी मैं, तुझे अपना मानने में इतनी मशरूफ थी मैं।
तू मेरा कभी हो ही ना सका, मेरा होकर रहना तेरी फितरत ही नहीं थी,
और तूझसे जुदा होना मेरी फितरत में ना था ,
बस हम दोनों की फितरत ने हमें ना साथ रहने,
दिया ना जुदा होने दिया।