फितरत फरेब की
हमारी बात क्या और क्या औकात दुनियां में।।
पड़े जो आफते सर पे ,सिकंदर भी मिट जाते हैं।
दुहाई राम की देकर , कसम लेते हैं अल्ला की।
सियासत करने वाले , धर्म में सबको लड़ाते है।
दिखाते प्यार ऊपर से कत्ल अंदर से करते हैं।
बनते हैं जो सगे ज्यादा वो अक्सर लूट जाते हैं ।
मिसाले अमन की देते दबाते हैं गले सबके।
धर्म के नामों पे मंदिरवमस्जिद टूट जाते हैं।
नेता जी वोट की खातिर रखते ईमान भी गिरवी।
चले जब मंत्र न कोई ,तो साधु ये बन जाते हैं।
ठगी जाती ये जनता , सबके विश्वास खोते है।
गरम पानी के ,चश्मे से , गुस्से फूट जाते हैं।
रखो ईमान थोड़ा सा , कहे सबसे यहीं सरिता।
न हो विश्वास रिश्तो में तो बंधन छूट जाते हैं।
सरिता सिंह