फितरत ना बदल सका
मेरा दिल आप से सजाया
जीवंत नहीं, स्मृति सही
रखा मैंने संदूक में भरके
हां, फितरत ना बदल सका ।
फ़िज़ाओं ने सरगम गा दिया
वसुन्धरा ने भर दी नई ऊर्जा
मन मयूर नित्य तुम्हें बुलाया
हां, फितरत ना बदल सका ।
रिम- झीम से बारिश में
जब -जब भीगा मेरा अंग
तेरा छाया भीगा मेरे संग
हां, फितरत ना बदल सका ।
ज्वार- भाटा की खनक में
खुद किया मैने समर्पण
पूरा ना सही… अधूरा सही
हां,फितरत ना बदल सका ।
आत्मा अलग, प्राण अलग
ये नही कभी हो पाया ।
मेरे प्राण वायु बिक चुका प्रिय
आप सदैव खरीदार प्रियतम
हां,फितरत ना बदल सका ll
गौतम साव
वेस्ट बंगाल
९३७८३२२१९६