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6 Jul 2023 · 1 min read

फितरत की दास्तान

क्या करें अब उसकी रूसवाई
जिसकी फितरत में है बेवफायी।
फितरत देता नहीं इज़ाजत इसकी
कि चाहा जिसने कभी, उसकी हो जगहँसाई।
दिल काे तोड़ देना खेल होगा उन्के लिए,
वो क्या जाने कि रूठ गई है मेरी परछाई।
मेरी फितरत है कईयों का रहनुमा
मेरी फितरत पे किसी की न रहनुमायी।
भले ही मेरी फितरत को कई जख़्म मिले हों,
मगर इसी फितरत में है, जख़्म भरने की दवाई ।

Language: Hindi
250 Views
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