फितरत की तबियत
लोग अक्सर किसी की कीमत देखते हैं,
दोस्ती करने से पहले हम तो, फितरत देखते हैं।
फितरत में किसी के कीमत की कोई जगह नहीं,
हम तो फितरत में इंसानियत देखते हैं।
कीमत का ढल जाना लाज़िमी है,
मुसीबत का भी टल जाना लाज़िमी है,
कीमत और मुसीबत का ज़ायजा लेकर,
मेरी फितरत का बदल जाना ग़ैर लाज़िमी है।
कुछ हासिल कर लेने की तमन्ना से दूर,
क्या है उसकी ज़रूरत देखते हैं।
नीयत में नादानी से इकरार है,
नीयत में बेईमानी से इन्कार है,
मेरी फितरत को कमजोरी न समझे कोई,
फितरत की न बिगड़े तबियत देखते हैं।