फितरत ऐसी भी
कीमत पे ढलने वाले
मुसीबत में टलने वाले
फितरत कब हैं बदलने वाले।
आपकी फितरत को ढाल बनाएंगे
अपनी फितरत को सवाल बनाएंगे
मुसीबत से नकलने की हैसियत नहीं उनकी,
न आपको ही मुसीबत से निकाल पाएंगे।
आँखों पे उनकी काला चश्मा चढ़ा है
उनकी फितरत पे भी मुलम्मा चढ़ा है
जिससे उम्मीद आपको,वो निकम्मा बड़ा है
उसको उसी साँचे में रब ने गढ़ा है,
बातों की जादू से फितरत छुपाने वाले हैं ।