फितरत एक पंछी
हमें पता है तुम पढ़ें लिखे नवाब हो मगर
मेरी फितरत पर कोई व्यंग ना लिखा करो
हम जैसे लिखते हैं वैसे ही लिखेंगे
कम से कम तुम तो अच्छा लिखा करो।।
जब हवाओं के हम साथ रहते हैं
जब बादलों के हम पास रहते हैं
तो फितरत ना देखो हमारी
कम से कम तुम तो अच्छा दिखा करो।।
जिनके ख्वाबों में फितरत का रंग मिले हो
उनके सपने ज़मीं पर नहीं फलते-फूलते
लोग कहते हैं हमें बात करने की ढ़ंग नहीं
अच्छा है कमसेकम हम नहीं रूठतेफूलते।।
फितरत एक पंछी ही तो है ,और क्या
फितरत एक कैंची ही तो है ,और क्या
ज्यादा सोचोगे तोआग-पानी का मिश्रण है
वरना फितरत तो फितरत है और क्या ।।
नितु साह(हुसेना बंगरा)सीवान-बिहार