फितरत इंसान की….
इंसान की फितरत में,
रंग बदलना आम है।
कब कहां किसे मिलें,
जहां जिससे काम है।।1।।
अब तो बिना मतलब के,
कोई याद नहीं करता है।
मानो हमसे लिया उधार,
और अब देने से डरता है।।2।।
फितरत बदल गई है,
मेरे दोस्तों की आज
पहले थे मीठी कोयल,
अब वो बन गए है बाज़।।3।।
हमने तो अपनी फितरत,
न कभी बदली संसार में।
हम हैं अभी जैसे थे पहले,
न किसी के इंतजार में।।4।।