फिज़ूल
फिजूल है !
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जिसे तुम न याद आओ
उस दिल का धड़कना फिज़ूल है !
जिनसे न आए तुम्हारे नाम की आहट
ऐसी आती-जाती सांसे फिजूल हैं !
जो न मांगते हों दुआ-ओ-खैर तुम्हारी
उन लबों की थरथराहट फिज़ूल हैं !
जिनमें न दिखता हो अक्स तुम्हारा
उन नयनों का पलकें झपकना फिज़ूल है !
जिनके पाश में न हुई हो तुम्हारी नींदें पूरी
उन बांहों का अंगड़ाई लेना फिजूल है!
जो रूहो-तन में रच बस न गया हो
ऐसे इश्क में दो प्रेमियों का होना फिज़ूल है !
@Sugyata