फाग
फ़ाग का मौसम सुहाना आ गया!
ज़िंदगी के सुर सजाना आ गया!!
भूलकर मंज़र पुराने ग़म भरे!
बस ख़ुशी के गीत गाना आ गया!!
दिल को दिल से जोड़ता है जो बशर!
हाथ उसके तो खज़ाना आ गया!!
बच्चे बूढ़े नारियां भीगे सभी!
एक सा सब का ज़माना आ गया!!
छोड़ दिल की अब मुसाफ़िर बेबसी!
प्रेम के मोती लुटाना आ गया!!
धर्मेंद्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
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