फागुन
विषय-फागुन
तिथि-९-३-२०१७
सखी ! फागुन मास है आयो री।
संग मधुर सरस बरसायो री।
समा भयो बड़ा मनभावन री।
चहु ओर है सरसों छाय रही।
हर ड़ारी कोयरिया कूक रही।
मन पिया मिलन की हूक रही।
बहु-रंग पुष्प चहु ओर खिले।
भँवरे सब फूल से आन मिलें।
मोर सजन अलबेलो आन मिलो।
संग सुमन-सुगन्ध से गरे मिलो।
इस बरस हम अपने रसिया संग।
संग खेरे होरी भई नई-उमंग।
आ ! प्रीत के रंग मोहे रंग दो सरस।
मोहे तुम संग होरी खेरे भये कई बरस।
मोहे भाये मधुर संग तोरा ही।
री सखी !आय गयो मोरा सजना री।
सखी फागुन मास……..
संग मधुर सरस………
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड