फागुन
हाथन भरे हैं रँग, …….सखियन के हैं सँग
फागुन को हुड़दंग,……….होली खेलन लगे
भर पिचकारी मारी, भिगो दीन्ही मोरी सारी
बात तो मानो हमारी, ……..काहे ठेलन लगे
उड़ रहो है गुलाल, …..आसमान हुआ लाल
फैलावत कान्हा जाल, …सखी पकडन लगे
शिकायत करें सखीं, …जसुदा के बात रखी
लाला तेरा करे दुखी,……फिर अकड़न लगे
#रजनी