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21 Mar 2019 · 1 min read

फागुन में (होली)

रंगों की है फुहार फागुन में
महकी महकी बयार फागुन में

हो कहीं भी सजन चले आना
तेरा है इंतज़ार फागुन में

छाई दिल पे अजीब मदहोशी
है नशा भी अपार फागुन में

फूंटने कोंपलें लगी मन में
हर जगह बिखरा प्यार फागुन में

दुश्मनों को गले लगा लेना
दिल को करना उदार होली में

रँग गये तन के साथ मन भी जो
है गज़ब का निखार फागुन में

होली आई बरस रहे रँग हैं
है दिलों में खुमार फागुन में

‘अर्चना’ छू बसंत को देखो
लाई कुदरत बहार फागुन में

21-03-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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