फागुनी धूप, बसंती झोंके
फागुनी धूप, बसंती झोंके
लहलहाते हुए सरसों के खेत
पीले फूलों पे गुलाबी तितली
देह धरती की हो गई पीली,
मन जिसे देख हो गया पुलकित
याद आईं पुरानी स्मृतियां
जो ह्रदय पर,,
अभी भी हैं अंकित।
फागुनी धूप, बसंती झोंके
लहलहाते हुए सरसों के खेत
पीले फूलों पे गुलाबी तितली
देह धरती की हो गई पीली,
मन जिसे देख हो गया पुलकित
याद आईं पुरानी स्मृतियां
जो ह्रदय पर,,
अभी भी हैं अंकित।