फाइल की व्यथा
फाइल की व्यथा
जी हां जनाब, फाइल चल रही है
चल चल कर जर्जर हो गई है।
लटकाऊ जी ने, अटकाऊ जी को भेजी है
अटकाऊ जी ने, भटकाऊ जी को भेजी है।
भटकाऊ जी, नियम कानून के घाघ हैं
उनकी बड़ी साख है।
उनसे गई है, जब किसी ने पाई है
उनकी भटकाई, किसको मिल पाई है।
फरियादी खरबूजा हैं ,भटकाऊ जी चाकू हैं।
मिंया अब चाकू खरबूजे पर गिरे,
या खरबूजा चाकू पर।
कटना तो खरबूजे को ही है।
मिंया फाइल तो ऐसे ही चलती है,
फाइल की व्यथा कहते कहते जान निकलती है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी