फ़िक्र
हर नई सहर इक नये सफ़र का
आग़ाज़ होती है ,
जो हर दिन इक नये जद्दोजहद का
पैग़ाम लाती है ,
हालातों से समझौता करने पर
हर शाम ‘अज़ाब लाती है ,
फिर हर रात मुस्तक़बिल की
फ़िक्र में गुज़रती है ।
हर नई सहर इक नये सफ़र का
आग़ाज़ होती है ,
जो हर दिन इक नये जद्दोजहद का
पैग़ाम लाती है ,
हालातों से समझौता करने पर
हर शाम ‘अज़ाब लाती है ,
फिर हर रात मुस्तक़बिल की
फ़िक्र में गुज़रती है ।