फ़ासले
लहरों की तरह आगे हम बढ़ते रहे,
दायरे हमारे और भी सिमटते रहे,
कभी तुम आगे निकल गए कभी हम,
फासले यूं ही हमारे बढ़ते रहे
आज जब शिद्दत से मेरे हमसफ़र !
तुम्हारी मुहब्बत का अहसास हुआ ,
तो हम बेबस से खड़े रह गए
और रिश्ते रेत की तरह हाथ से फिसलते गए।