*******फ़ायदा उठाते हैं लोग*********
*******फ़ायदा उठाते हैं लोग*********
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अवसर का फ़ायदा उठाते हैं लोग,
सच को झूठ झूठ को सच बनातें हैं लोग।
मिल जाए मंजिल बिना हाथ पैर हिलाए,
मुकद्दर का सिकंदर बताते है लोग।
पल भर न पचती कोई भी राज की बातें,
इधर की उधर बातें लगाते है लोग।
माथे पर पसीना चढ़ जाए झट त्यौरियां,
खरी खरी उल्टी सीधी सुनाते है लोग।
एहसान फरामोशी करना फितरत उनकी,
बिना किसी कारण ही रूलाते हैं लोग।
मज़ा लेना देना उन्मादी से भरा है होता,
दुनियादारी को सदा ही हंसाते है लोग।
विपदा जो आए पल में हो जाएं एक मुठ,
मुश्किल में साथ भी निभाते है लोग।
हो जाए गलती मिलता नहीं कोई मौका,
खुद को नजरों में ही गिराते हैं लोग।
मान मर्यादा की कोई नहीं फिक्र चिंता,
इज्जत की धज्जियाँ उड़ाते हैं लोग।
किस किस के मुंह पर बांधे कौन पट्टी,
दो की चार चार की आठ सुनाते है लोग।
दिल की भावना को न समझे मनसीरत,
एहसास को एहसानों में गिनाते है लोग।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)