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18 May 2024 · 1 min read

फ़रेब

खुले आसमान में
डूबते सूरज को देखते हुए ,
जज्बातों की जगह
ख्यालों को बना अल्फ़ाज़ ,
हर दागदार झूठ को
बेदाग सच की सियाही से लिखते हुए
हाथ अब नहीं कपकपाते।

ज़हर को भी अब हम
अमृत कहे जाते हैं
ज़ुबान पर हमेशा मिठास लिए जाते हैं।

सदैव फूल के जगह कांटे हैं मिले ,
इसलिए अब पहले ही हम
खुद काँटो के रास्ते नंगे पैर चले जाते हैं।

रात हसीन है तब तक
जब तक चाँद तारों का साया है,
चाँद तारों ने रात को चमकाया है
अंधेरे से आखिर किसने दिल लगाया है।

इश्क़ नहीं फ़रेब लिखा है, हमने भी तुमने भी
आज कल कहाँ किसी ने एक शख़्स ख़ातिर
पूरी जवानी को जलाया है
कहीं न कहीं आज कल सबने दिल लगाया है।

❤️ सखी

Language: Hindi
1 Like · 52 Views

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