फ़तह मंजिल
होंगी
फ़तह
जब रखेंगे
पाँव
मजबूती से
मुकाम तलक
पहुंचेंगे हम
लेंगे जब
संकल्प
भरपूर
दें
बच्चों को
संस्कार अच्छे
बनें
देश के
नागरिक
सच्चे वो
रखो
दृढ विश्वास से
अपने पाँव
चाहे हो
जंगल या
पगडंडी गाँव
पद
पैचनियां बांध
कृष्ण नाचे हैं
वृन्दावन
राधा संग
नाची है
करो
सेवा
माता पिता की
पाँव दबा
लो
आशीर्वाद
उनका
है
इतिहास
पाँव का
मजेदार
कहें
“भारी हैं
पाँव बहू के ”
छाई खुशियाँ
घर अंगना
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल