“””फर्ज मैं अपना निभाऊंगा”””कविता
***फ़र्ज़ मै अपना निभाऊंगा***
यह सांसे तूने मुझे दान दी।
लाई संसार में पहचान दी।
मन में मैंने मां ठान ली।
**फ़र्ज़ मै अपना निभाऊंगा**।।
पीड़ाएं मेरे लिए कितनी तूने सही।
कोई पीड़ा हुई मुझे आंख तेरी बही।
बात यह मैंने जान ली।
**फर्ज मैं अपना निभाऊंगा**।।
मां ओ “मां” कितना प्यारा लब्ज।
मानिए हो धड़कती मेरी नब्ज़।
अन्तिम सांस तक सेवा की ज़बान दी।
**फर्ज मैं अपना निभाऊंगा**।।
राजेश व्यास अनुनय