फर्ज अपना-अपना
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धर्म अलग-अलग है हम सबके यहां।
पर मालिक एक है हम सबका वहां।।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्क-इसाई।
हम सब है यहां भाई-भाई।।
ये हिन्दुस्तान पावन है हमारा।
है दुनिया का ये चमकता सितारा।।
ये हमारा फूलों भरा चमन है।
मन-भावन गीतों भरा मधुवन है।।
खुश्बूओं से भरा ये घर है अपना।
जहाॅं में सबसे प्यारा ये घर है अपना।।
देखो! फूंक रहा है कोई घर अपना।
ऐसा कौन है वो दुश्मन अपना।।
कौन है वो फूट का बीज बोने वाला।
कौन है वो धर्म-निरपेक्षता को तोड़ने वाला।।
दुनिया में गिरी है साख हमारी।
किसने रोक दी ये उन्नति हमारी।।
आओं! खोज निकाले दुश्मन अपना।
और बचाले उजड़ता ये चमन अपना।।
टूट रहा है कदम-कदम पे देश अपना।
आज! फर्ज निभालों सब अपना-अपना।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल=======
=====*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*========
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