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11 Oct 2021 · 1 min read

फर्क नहीं पड़ता हे भाई ___ मुक्तक

पल दर पल संभल कर चल शिकारी बैठे हे भाई।
कहां से तीर चल जाए,कौन कब ऐंठे रै मेरे भाई।।
घाव चाहे दिल पर लग जाए, प्राण भी चाहे चले जाए।
फर्क नहीं पड़ता है उनको, समझ जा रे मेरे भाई।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 219 Views
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