फरिश्ता या तानाशाह
कुछ समझ नहीं आ रहा था बारिश थी की रुकने का नाम ही न ले रही थी । श्रीवास्तव जी कब से तैयार होकर बैठे थे पर जा नहीं पा रहे थे ।
रमा अब तक दो बार चाय बना कर ला चुकी थी बैठे बैठे दो कप चाय पी चुके थे मन ही मन बड़बड़ाते जा रहे थे ।
“कमबख्त कब रुकेगी बारिश” देर हो गई तो साहब कच्चा ही चबा जाएंगे । समय के बड़े पाबंद थे । उन्हें तो बारिश से कोई फर्क नहीं पड़ता कार में बैठे और आ गए । हमें तो बाबा आदम के जमाने के फटफटिये पर ही जाना है ।
वहां पहुंचते तक तो पुरे भीग जाएंगे ।
एक तरफ बारिश तो दुसरी तरफ साहब का डर दिमाग का तो फ्यूज उड़ने लगा । थोड़ा पानी हल्का हुआ तो सरपट स्कुटर स्टार्ट किया और दौड़ा दिया मगर वाह रे किस्मत कुछ दूर ही
गए होंगे की बारिश फिर तेज हो गई स्कुटर रोक कर किसी दूकान के साईड में खड़े हो गए । तभी साहब की कार सामने से निकली ।
कुछ देर पश्चात पुनः बारिश कम हुई तो
स्कुटर तेजी से भगाते हुए आफिस पहुंचे । पार्किंग में कार देखते ही कदमों में तेजी आ गई । अपनी टेबल पर पहुंच कर बैग रखा और चैन की सांस ली ।
“श्रीवास्तवजी आपको साहब बुला रहे हैं” प्यून ने आकर कहा।
लगा आज तो शामत आई घबराते हुए साहब के केबिन में पहुंचे ।
मैं अंदर आ सकता हूं श्रीवास्तवजी ने दबी आवाज में पुछा ।
जी आइये श्रीवास्तवजी बैठिए साहब ने मुस्कुराते हुए कहा ।
आपका लोन के लिए एप्लाई किया था वो मंजूर हो गया है बधाई।
शुक्रिया…..साहब जी…, अचंभित से रह गए । कहां डर रहे थे की पता नहीं साहब देर से आने पर गुस्सा करेंगे मगर खुशखबरी मिल गई
खुशी से गला भर आया ।
साहब आज भी थोड़ी देर हो गई
“कोई बात नहीं श्रीवास्तवजी” हम भी आपकी इंसान ही हैं । हमने भी बड़ी डांट खाई है तब इस पद पर पहुंचे हैं हम आपके दुश्मन नहीं हैं ।
वैसे ही सभी सरकारी विभाग लापरवाही के लिए बदनाम हैं किसी न किसी को तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी तो हम और आप से ही क्यों नहीं ?
“जी साहब सही कह रहे हैं आप” श्रीवास्तवजी ने हाथ जोड़कर कहा ।
थोड़ी देर पहले जो तानाशाह नजर आ रहा था उसे फरिश्ता बनने में एक क्षण भी नहीं लगा । सच ही कहा है किसी ने की रौब झाड़ने से कोई बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने मधुर व्यवहार से दिल जीता जाता है ।
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© गौतम जैन ®