फतह होगी यकीनन
आफतें यूँ ही न आईं कुछ वजह होगी यकीनन|
रात का पैगाम है ये कल सुबह होगी यकीनन|
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मन्जिलें कुछ दूर हैं ये रास्ते मुश्किल भी लेकिन,
हौंसले परवाज पर हैं तो फतह होगी यकीनन|
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हद हुई खामोशियों की,क्यों न फिर तुफान आये,
हाशिये पन्नों पे लौटे अब जिरह होगी यकीनन|
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आग पानी की तरह है आजकल अपनी अदावत,
दूरियां दिखतीं रहेंगी पर सुलह होगी यकीनन|
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खुद फना हो करके मौजें साहिलों को चूम लेतीं,
जीत अपनी भी’मनुज’अब इस तरह होगी यकीनन|