फटे रह गए मुंह दुनिया के, फटी रह गईं आंखें दंग।
फटे रह गए मुंह दुनिया के, फटी रह गईं आंखें दंग।
मुंह काला करते उजियारे, देखो आज अंधेरे संग।।
■ प्रणय प्रभात ■
फटे रह गए मुंह दुनिया के, फटी रह गईं आंखें दंग।
मुंह काला करते उजियारे, देखो आज अंधेरे संग।।
■ प्रणय प्रभात ■