फटी बनियान
नई कमीज तो कुछ वद जुबानी करती है।
फटी बनियान हकीकत बयानी करती है।
जिन्दगी रोज मारती है शक्श को लेकिन।
मौत एकदम ही आके मेहरबानी करती है
तुम्हारे शोर का बिल्कुल असर नहीं होता।
उससे ज्यादा असर तो बेजुबानी करती है।
तुम्हारा चहरा तो दिल की जुबान नही लगता।
दिल में आग सुलगती पुरानी लगती है।
भागते फिरते है एक घर के लिए जीवन भर।
और क्या परेशान अब जिंदगानी करती है।