पढ़ें मेरे अल्फाज़ अच्छे लगे तो आपके हैं,
आसान है मौत से तराने सुनना,
जमाने को गंवारा नहीं,
बहुत बार झलक मिली हमको,
लेकिन जमाने को विज्ञापन देखना पसंद है ।।
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दीपक हूँ प्रकाश मेरा धर्म,
हरता हूँ अंधकार को इक सीमा तक,
ये कमी नहीं मेरी अपनी,
जो मिट जाते है कीट-पतंग,
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मुझे नहीं लिखना.. तेरा नसीब,
तू स्वयं लिख ले..मैं तेरा संरक्षक हूँ..,
मैं तुझे वो हर हक देता हू..,
जो नहीं मिलने वाले तुझे मेरे सिवा,
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हँसते हँसते फ़नां हो जाऊं,
गर तेरे आँचल पर,
जरा सी आँच आए माँ,
चूमना पड़े भले,
भगतसिंह सम फाँसी का फँदा,महेंद्र.
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तमन्नाओं रुख मोड़ लो अपना,
ये घर नहीं अब तुम्हारा अपना,
सोया था जो कभी..,
अब नहीं सोने वाला,
अब चैन है अमन हैं शुकून है ये घर सिर्फ मेरा रहा,
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डॉ0महेंद्र.