******** प्रेरणा-गीत *******
******** प्रेरणा-गीत *******
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पंछी बन कर अंबर छा जाओ,
मुश्किलों में कभी मत घबराओ।
आगे कुआँ चाहे पीछे हो खाई,
साथ न दे चाहे खुद की परछाई,
पथ पर पग धर बढ़ते ही जाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।
राह में पर्वत या भारी पत्थर हो,
नंगे पैर तले कंकर ही कंकर हों,
हिम्मत ना हारो कदम बढ़ाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।
रात अँधेरी पर सूरज निकलेगा,
कोशिश से ही तो हल निकलेगा,
मार उड़ारी हर मंजिल पाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।
मनसीरत मन पर कर लो काबू,
अंग-संग हर पल होंगे केतु राहू,
जुगनू बन कर प्रकाश फैलाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।
मुश्किलों मे कभी मत घबराओ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)