Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2024 · 1 min read

******** प्रेरणा-गीत *******

******** प्रेरणा-गीत *******
*************************

पंछी बन कर अंबर छा जाओ,
मुश्किलों में कभी मत घबराओ।

आगे कुआँ चाहे पीछे हो खाई,
साथ न दे चाहे खुद की परछाई,
पथ पर पग धर बढ़ते ही जाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।

राह में पर्वत या भारी पत्थर हो,
नंगे पैर तले कंकर ही कंकर हों,
हिम्मत ना हारो कदम बढ़ाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।

रात अँधेरी पर सूरज निकलेगा,
कोशिश से ही तो हल निकलेगा,
मार उड़ारी हर मंजिल पाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।

मनसीरत मन पर कर लो काबू,
अंग-संग हर पल होंगे केतु राहू,
जुगनू बन कर प्रकाश फैलाओ।
पंछी बन कर अंबर छा जाओ।

पंछी बन कर अंबर छा जाओ।
मुश्किलों मे कभी मत घबराओ।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

605 Views

You may also like these posts

3512.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3512.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
तू जो कह दे
तू जो कह दे
Ruchika Rai
कोई ख़्वाब है
कोई ख़्वाब है
Dr fauzia Naseem shad
दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वक्त को पीछे छोड़ दिया
वक्त को पीछे छोड़ दिया
Dheerja Sharma
मै ही रहा मन से दग्ध
मै ही रहा मन से दग्ध
हिमांशु Kulshrestha
छत पर हम सोते
छत पर हम सोते
प्रदीप कुमार गुप्ता
🙅एक सवाल🙅
🙅एक सवाल🙅
*प्रणय*
बदनाम
बदनाम
Deepesh Dwivedi
कुछ दर्द कुछ खुशियां
कुछ दर्द कुछ खुशियां
Sunil Maheshwari
वे सोचते हैं कि मार कर उनको
वे सोचते हैं कि मार कर उनको
VINOD CHAUHAN
महबूब
महबूब
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
#हौंसले
#हौंसले
पूर्वार्थ
"शोर है"
Lohit Tamta
*बदलते जज़्बात*
*बदलते जज़्बात*
Dr. Jitendra Kumar
कुछ खो गया
कुछ खो गया
C S Santoshi
प्रार्थना
प्रार्थना
Shyam Sundar Subramanian
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
gurudeenverma198
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
Phool gufran
जबसे तुमसे लौ लगी, आए जगत न रास।
जबसे तुमसे लौ लगी, आए जगत न रास।
डॉ.सीमा अग्रवाल
" HYPOTHESIS"
DrLakshman Jha Parimal
कलेजा फटता भी है
कलेजा फटता भी है
Paras Nath Jha
एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
एक ग़ज़ल :- भूला है हमने
मनोज कर्ण
मजदूर
मजदूर
Dinesh Kumar Gangwar
Life through the window during lockdown
Life through the window during lockdown
ASHISH KUMAR SINGH
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
विदाई
विदाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Colours of Life!
Colours of Life!
R. H. SRIDEVI
- हम खुद को संभाल लेंगे -
- हम खुद को संभाल लेंगे -
bharat gehlot
Loading...