प्रेरक संस्मरण
एक बार की बात है मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ , बड़े भैया एवं भाभी के साथ पंजाब से जबलपुर ट्रेन से यात्रा कर रहा था | सामने वाली सीट पर एक बुजुर्ग दंपत्ति विराजमान थे | इस ट्रेन से हमें करीब १६ घंटे की यात्रा करनी थी | पर समय कैसे बीता पता ही नहीं चला | बीच – बीच में उन बुजुर्ग दंपत्ति से वार्तालाप होता | फिर साथ बैठ खाना खाने का समय |
ट्रेन एक ऐसा परिवहन संसाधन है जिसमे भिन्न – भिन्न संस्कृति के लोग आपस में संबंधों को प्रगाढ़ करते हुए अपनी – अपनी मंजिल की ओर बढ़ जाते हैं | यहाँ मैं आपके साथ जो प्रेरक प्रसंग साझा करना चाहता हूँ वो यह है कि बुजुर्ग दंपत्ति को जबलपुर से एक स्टेशन पहले कटनी उतरना था | ट्रेन से उतरते समय बुजुर्ग दंपत्ति जब ट्रेन से उतरने लगे तो बुजुर्ग महिला ने कहा कि मेरी सोने की अंगूठी ट्रेन में ही गिर गयी है | आनन – फानन में ढूँढने की कोशिश की गयी पर अंगूठी दिखाई नहीं दी | हमने उनसे उनका फोन नम्बर लिया और कहा कि हम जबलपुर स्टेशन पर चेक कर लेंगे और अगर अंगूठी मिल गयी तो आपको सूचित कर देंगे | बुजुर्ग दंपत्ति आश्वस्त होकर चले गए | जबलपुर स्टेशन पर हमने अपना सारा सामान उतारा और अंगूठी ढूँढने की कोशिश की | किस्मत से अंगूठी मिल गयी | घर पहुँच हमने उनको फोन किया और अंगूठी मिलने के बारे में बताया | यह सुन वे बहुत खुश हुए | बाद में समय मिलने पर वे हमारे घर आये | हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए और ढेर सारा आशीर्वाद |
इस संस्मरण को साझा करने का एक ही मकसद था कि इस धरती पर इंसानियत काबिज करने के लिए छोटे – छोटे मौके हमें भगवान् नसीब करता है | उन लम्हों पर हम अपनी ईमानदारी बरकरार रखें और सुनदर विचारों से इस धरा को पोषित करते रहें |