प्रेरक संस्मरण
कुछ दिनों पहले की बात है | मुझे पिछले दो – तीन दिनों से चक्कर आ रहे थे | मैंने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि मेरा बी पी करीब 155 है | जब मैं डॉक्टर को दिखाने के बाद स्कूटी से घर की ओर लौट रहा था तो मुझे जोर से चक्कर आने लगे | मैं स्कूटी पर सिर झुकाकर खड़ा हो गया | मेरे पीछे स्कूटी पर मेरा पुत्र भी बैठा हुआ था | मेरे पुत्र ने मुझे कुछ देर आराम करने को कहा |
इसी बीच वहां से दो लड़कियां गुजर रही थीं जिनका घर आसपास ही था | उन्होंने मुझे देखा तो उनमे से बड़ी लड़की ने मुझसे मेरा हाल पूछा | तो मैंने कहा कि मुझे चक्कर आ रहे हैं | तब बड़ी लड़की ने मुझे पानी के लिए पूछा और छोटी लड़की ने मुझसे मास्क उतारने को कहा और कहा कि आप अपने मोज़े भी उतार लें आपको आराम मिलेगा | करीब पांच मिनट बाद मैं सामान्य हो गया | मैंने दोनों बच्चियों को धन्यवाद किया और घर की ओर चल दिया |
इस दोनों अजनबी लड़कियों के इस व्यवहार ने मुझे काफी प्रभावित किया | आज के इस व्यस्ततम समय में भी युवा पीढ़ी में इतने अच्छे संस्कार देख मैं बहुत ही आल्हादित हुआ | घर से मिले संस्कार जीवन में अपनी महत्ता कभी नहीं खोते | उन दोनों बच्चियों को मेरा ढेर सारा आशीर्वाद |