प्रेरक संस्मरण – इसे एक बार अवश्य पढ़ें
बात उस समय की है जब मैं मात्र 11 वर्ष का था | मैं अपने घर के बाहर दरवाजे के साथ खड़ा था | सामने पीपल के वृक्ष के चारों ओर दौड़ते हुए चार – पांच बच्चे तीर – कमान से खेल रहे थे | तभी एक तीर आकर मेरी बांयी आँख में भीतर तक धंस गया | मैंने उसे खींचकर निकाला और दूर फैंक दिया | और घर में बिछी खटिया के नीचे डर के मारे छुप गया | बाद में जब घर वालों ने मुझसे पूछा तो मैंने बताया कि मेरी बांयी आँख में तीर लग गया है इससे घर के सभी सदस्य घबरा गए और मुझसे दायीं आँख बंद कर देखने को कहा तो मैंने बताया कि मुझे धुंधला – धुंधला दिख रहा है | सभी घबरा गए और डॉक्टर के पास गए तो पता चला कि मेरी बायीं आँख की रौशनी चली गयी है | इस घटना को साझा करने का प्रेरक पहलू यह है कि एक आँख का होते हुए भी मैंने चार विषयों कॉमर्स. अर्थशास्त्र , अंग्रेजी साहित्य और पुस्तकालय विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की | साथ ही कंप्यूटर में डिप्लोमा भी | 2014 में संभागीय सम्मान प्राप्त हुआ , 2009 में जिला स्तर पर सर्वश्रेष्ठ स्काउट मास्टर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया | 2005 से अब तक मैंने 1500 से ऊपर गीत, ग़ज़ल , कवितायें, लेख, भजन , शेर, कहानियाँ आदि लिखे है | मेरी पहली पुस्तक “काफिले रुकते नहीं ” साहित्यपीडिया मंच द्वारा प्रकाशित की गयी | अब तक मैंने चार राष्ट्रीय स्तर के सेमीनार में भाग लिया और तीन पुस्तकों में मेरे सेमीनार पेपर्स भी प्रकाशित हुए | स्कूल के बच्चों के लिए मुझे रोल मॉडल समझा जाता है | आप मेरा काम “anil kumar gupta librarian kvs ” के माध्यम से भी गूगल पर खोज सकते हैं |